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आमनेर नदी के किनारे मडौदा गांव में छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, पाठक मंच मड़ौदा और पाठक मंच खैरागढ़ का आयोजन सम्पन्न

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आमनेर नदी के किनारे मडौदा गांव में छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, पाठक मंच मड़ौदा और पाठक मंच खैरागढ़ का आयोजन सम्पन्न

Hemant Umarey

28-04-2025 07:05 AM
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छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, पाठक मंच मड़ौदा और पाठक मंच खैरागढ़ का आयोजन।



खैरागढ़/27 अप्रैल। छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन की दूरगामी योजना “चलो गांव की ओर” के अंतर्गत ग्यारहवां गीत यामिनी कार्यक्रम आमनेर नदी के किनारे मड़ौदा गांव में संपन्न हुआ। इसकी शुरुआत में जाने माने साहित्यकार विनयशरण सिंह की दो पुस्तकों “जंगल के रखवाले (बाल नाटक) और पीयर-पीयर फूल (बाल कविता संग्रह) का विमोचन हुआ। इन पुस्तकों पर अपनी बात रखते हुए प्रसिद्ध गीतकार और कवि डॉ. जीवन यदु ने कहा कि बाल मनोविज्ञान की गहरी समझ रखने वाले विनयशरण सिंह ने बच्चों को ध्यान में रखते हुए छोटे-छोटे छंद में चित्रात्मक शैली के साथ ध्वन्यात्मक शब्दों अच्छा प्रयोग किया है। मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रविश्रीवास्तव ने कहा कि इस योजना की शुरुआत स्व. ललित सुरजन, स्व. गोरेलाल चंदेल, डॉ. जीवन यदु और डॉ. प्रशांत झा ने मिलकर ईटार गांव से की। इसके सूत्रधार पाठक मंच खैरागढ़ के संयोजक डॉ. प्रशांत झा हैं। इसका ग्यारहवां पड़ाव मड़ौदा गांव है। छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री डॉ. राकेश तिवारी ने कहा कि “गांव की ओर” का उद्देश्य केवल कविता ही पढ़ना नहीं है, बल्कि रचना के विविध आयाम से परिचित कराते हुए साहित्य को समाज से जोड़ना भी है। डॉ. प्रशांत झा ने “चलो गांव की ओर” के गीत यामिनी की ग्यारहवें पड़ाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लगातार स्वर कोकिला सरोजिनी नायडू के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आयोजित किया जाता था। इस वर्ष चुनाव की वजह से अप्रैल के माह में मड़ौदा गांव के विशेष सहयोग से यह संभव हो पाया है।


मध्यरात्रि तक चले कवि सम्मेलन को ग्रामीणों ने खूब सराहा


मध्यरात्रि तक चले कवि सम्मेलन को ग्रामीणों ने खूब सराहा। कवियों ने भरपूर तालियां बटोरीं। इसका संचालन छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव ने किया। इसमें डॉ. जीवन यदु ने अपनी चर्चित छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल “आजादी के बाद बबा के” और वर्तमान रोजगार व्यवस्था पर व्यंग्य गीत “चढ़ जा तैहा नौकरी के रेल” का पाठ किया। श्रीमती संतोष झांझी ने अपनी सुमधुर आवाज में मुक्तक के बाद “जिंदगी” और विनयशरण सिंह ने व्यंग्य गीत “आजादी के अट्ठहतर साल” का पाठ किया।. प्रशांत झा ने गांव की संस्कृति को रेखांकित करते हुए “मड़ौदा गांव” का पाठ किया। गिरधर सिंह राजपूत ने “गांव अब और तब” गीत का पाठ किया। कु. देविका साहू ने “छत्तीसगढ़ के सुघ्घर तिहार” शीर्षक से गीत पढ़ा। संकल्प पहटिया ने बदलते धार्मिक-राजनैतिक राष्ट्रवाद से उपजे उत्सव के उन्माद में बदलते दृश्यों को आधार बनाते हुए मुक्त छंद कविता “नारे” का पाठ किया। यशपाल जंघेल ने राम का आश्रय लेकर “जेमा जतका लूट हे भांचा” छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल का पाठ किया। रवि यादव ने छत्तीसगढ़ी गीत “ज्ञान बघारे बर बने हे” का पाठ किया। रवींद्र पांडेय ने हरिशंकर परसाई की परंपरा का निर्वाह करते गद्य व्यंग्य “ईमानदारी वही भली” का पाठ किया।मकसूद अहमद ने उर्दू परंपरा का निर्वाह करते हुए ग़ज़ल पढ़ी। सागर इंडिया ने मंचीय अंदाज में गीत का पाठ किया। और अंत में डॉ. जीवन यदु ने अपने देश भर में चर्चित हिंदी गीत “जब तक रोटी के प्रश्नों पर” का सस्वर पाठ किया। इस कवि सम्मेलन में निश्चित अंतराल में रवि श्रीवास्तव ने “मां” और “धर्मनिरपेक्ष गिद्ध” का पाठ किया।


शाल-श्रीफल, बैठकी, चना होरा और धान झालर से हुआ रचनाकारों का स्वागत


अंत में गांव की नव निर्वाचित सरपंच किरण वर्मा ने आभार प्रदर्शन किया। इससे पहले पाठक मंच मड़ौदा के गिरधर सिंह राजपूत के संचालन में सभी कवि-रचनाकारों का छत्तीसगढ़ी लोक-परंपरा की याद को ताजा करते हुए

शाल-श्रीफल के साथ-साथ बैठकी और धान झालर से सम्मान किया गया।

डॉ. मनेन्द्र साहू ने स्वागत भाषण में कहा कि आज का दिन और यह रात हम गांववासियों के लिए किसी स्वपन के साकार होने के जैसा है।आयोजन को सफल बनाने में राजेश्वर सिंह जंघेल, हेमलेस कुमार चंदेल (अध्यक्ष ग्राम समिति) जितेन्द्र वर्मा, अशोक कुमार वर्मा (उपाध्यक्ष ग्राम समिति), जितेन्द्र वर्मा (अध्यक्ष, सोसायटी मड़ौदा) टोवादास साहू, हल्लू वर्मा (सचिव), तारण वर्मा (उपसरपंच मड़ौदा), विनिता राजपूत (प्रधान पाठिका), आशीष ठाकुर (सरपंच ग्राम पंचायत बिरौड़ी), उमराव साहू, नूनकरण साहू, पीलूदास साहू, लीला दास साहू, धनवर निषाद, गजानंद वर्मा, राजेश टंडन, हेमंत पाल, हेमंत चंदेल, केवल चंदेल, भरत वर्मा, भागीरथ वर्मा आदि ग्रामवासियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Hemant Umarey

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